संस्था का संविधान

1. संस्था का नाम: राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान

2. संस्था का कार्यक्षेत्र: सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश

3. संस्था का पूरा पता: 119 ब, भूतल, गेट नं. 9 के निकट, उत्तर प्रदेश सचिवालय, हज़रतगंज, लखनऊ-२२६००१

4. संस्था के उद्देश्य: स्मृतिपत्र के अनुसार

5. संस्था की सदस्यता: संस्था की सदस्यता उन व्यक्तियों को प्रदान की जा सकती है, जो-
(1) उत्तर प्रदेश सरकार में कार्यरत/तैनात कर्मचारी हों।
(2) मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हों और न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित न हुये हों।
(3) भारतीय संस्कृति, साहित्य, कला एवं समाज सेवा में रुचि रखते हों।
(4) संस्था के हितों एवं संविधान में पूर्ण आस्था रखते हों।
(5) जिन्हें सदस्यता प्रदान किये जाने में कार्यकारिणी को कोई आपत्ति न हो।
(6) संस्था के जो सदस्य अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात भी सदस्य बने रहना चाहते हैं, उन्हें सदस्य बनाये रखा जा सकता है (दिनांक 17-06-2000 की सभा में पारित प्रस्ताव)।
स्पष्टीकरण- प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापक भी संस्था के सदस्य बन सकते हैं, क्योंकि उक्त विद्यालय भी सरकार द्वारा संचालित होते हैं। (दिनांक 01-02-2002 की आमसभा में पारित प्रस्ताव)।


6. मानद सदस्य: संस्था की कार्यकारिणी द्वारा विद्वान, राजनेता तथा अन्य उपयुक्त व्यक्तियों को नि:शुल्क/विशिष्ट सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है, बशर्ते संस्था के संविधान एवं संस्था के कल्याण में रुचि रखते हों।

7. सदस्यता की समाप्ति: (1) किसी भी सदस्य द्वारा दिया गया त्यागपत्र कार्यकारिणी द्वारा स्वीकार कर लिये जाने पर।
(2) सदस्य की निष्क्रियता/संस्था के विरुद्ध कार्य करने की दशा में कार्यकारिणी द्वारा उपस्थित सदस्यों के तीन चौथाई सदस्यों के बहुमत एवं कुल कार्यकारिणी के सदस्यों के आधे से अधिक सदस्यों के बहुमत से सदस्यता समाप्त किये जाने के निर्णय में नामित/सामान्य सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
(3) मृत्यु, शुल्क न देना, पागलपन, दीवालिया या न्यायालय द्वारा दंडित होने पर कार्यकारिणी द्वारा सामान्य बहुमत से सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
(4) इसी प्रकार शाखाओं की सदस्यता भी समाप्त किये जाने का निर्णय लिया जा सकता है।


8. सदस्यता शुल्क: कार्यकारिणी के अनुमोदन से बनाये गये सदस्यों द्वारा वार्षिक सदस्यता शुल्क के रूप में रू0 100.00 देय होगा, जिसका भुगतान अर्द्धवार्षिक आधार पर भी किया जा सकता है।

9. संस्था के अंग: (अ) साधारण सभा (ब) कार्यकारिणी समिति
(अ) साधारण सभा
गठन:- (1) साधारण सभा के सदस्य वह सभी व्यक्ति होंगे, जो संस्था के उद्देश्यों से सहमत हों, सहयोग दें एवं वार्षिक चंदे की धनराशि जमा की हो।
(2) साधारण सभा में मत देने का अधिकार मानद सदस्यों को नहीं होगा एवं कोई भी निर्णय एकल एवं असंक्रमणीय मतदान द्वारा लिया जा सकेगा।


बैठक:-
(1) प्रत्येक वर्ष में एक बार सामान्यतया वर्ष की समाप्ति पर आयोजित वार्षिकोत्सव में नगर एवं बाहर के गणमान्य नागरिकों, पत्रकारों और शिक्षा शास्त्रियों आदि को भी आमंत्रित किया जा सकेगा।
सूचना:-
(1) साधारण सभाओं की सूचना एक सप्ताह पूर्व तथा विशेष सभाओं की सूचना तीन दिन पहले देना अनिवार्य होगा। इन सूचनाओं का उत्तरदायित्व महामंत्री का होगा।
(2) आवश्यकतानुसार कार्यकारिणी के आदेश पर महामंत्री द्वारा अध्यक्ष के परामर्श के उपरान्त साधारण सभा का आयोजन किया जा सकेगा।

गणपूर्ति:-
(1) साधारण सभा में गणपूर्ति के लिये कुल सदस्यों की संख्या के 20 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
(2) यदि गणपूर्ति के अभाव में सभा की बैठक स्थगित करनी पड़ी तो दूसरे दिन आयोजित सभा की बैठक में गणपूर्ति आवश्यक न होगी।


साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य:
अगले वर्ष का वार्षिक आय-व्ययक पारित करना एवं पूर्व वर्ष के आय-व्ययक को अनुमोदित करना। संस्था के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेना, संविधान संशोधन करना, आवश्यकता होने पर सदस्यों आदि के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करना आदि।

(ब) कार्यकारिणी समिति
गठन:-
(1) साधारण सभा के सभी सदस्य, पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों का चुनाव करेंगे।
(2) पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव सदस्यों द्वारा एकल असंक्रमणीय मत द्वारा किया जा सकेगा।
(3) संस्था की कार्यकारिणी समिति: इसमें निम्नलिखित पदाधिकारी एवं सदस्य होंगे-
(क) अध्यक्ष-1
(ख) उपाध्यक्ष-3
(ग) महामंत्री-1
(घ) संगठन मंत्री-2
(च) प्रचार मंत्री-1
(छ) साहित्य मंत्री-1
(ज) संयुक्त मंत्री-3
(झ) कोषाध्यक्ष-1
(ट) अंकेक्षक (आडीटर)-1
(ठ) कार्यकारिणी सदस्य-15


कार्यकाल:-
(1) सामान्य सभा में निर्वाचन द्वारा गठित कार्यकारिणी संस्था का कार्य संचालन करेगी, जिसका कार्यकाल दो वर्ष का होगा।
(2) नयी कार्यकारिणी का गठन न होने तक वर्तमान कार्यकारिणी ही संस्था का कार्य संचालन करेगी। यह बढ़ा हुआ कार्यकाल एक वर्ष से अधिक नहीं होगा।


बैठक:-
(1) कार्यकारिणी की साधारण बैठक वर्ष में तीन बार अवश्य होगी, जो संस्था के महामंत्री द्वारा अध्यक्ष के परामर्श के उपरान्त बुलाई जायेगी।
(2) कार्यकारिणी की विशेष बैठक अध्यक्ष के आदेश पर या चार कार्यकारिणी सदस्यों के लिखित अनुरोध पर महामंत्री द्वारा अध्यक्ष के परामर्श के उपरान्त बुलाई जाएगी।


गणपूर्ति:-
कार्यकारिणी की बैठकों में गणपूर्ति की संख्या 1/5 अर्थात 20 प्रतिशत होगी, किन्तु गणपूर्ति न होने पर अध्यक्ष की सहमति से अगली बैठक बुलाये जाने पर उसमें गणपूर्ति की आवश्यकता नहीं होगी।

सूचना अवधि:-
कार्यकारिणी की साधारण बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व तथा विशेष बैठक की सूचना 3 दिन पूर्व आवश्यक होगी। सूचना के साथ बैठक के लिये अध्यक्ष द्वारा अनुमोदित कार्य सूची संलग्न की जायेगी।

रिक्त स्थानों की पूर्ति:-
कार्यकारिणी के 2/3 सदस्यों के अनुमोदन से रिक्त स्थानों की पूर्ति की जा सकेगी।

कार्यकारिणी के अधिकार/कर्तव्य:-
संस्था के विकास हेतु कार्यक्रम बनाना, कार्यान्वयन करना। साहित्यिक समारोहों, कार्यशालाओं का आयोजन। पत्रिका का प्रकाशन करना। व्यय को अनुमोदित करना, व्यय का परीक्षण करना, कार्यकारिणी/आम सभा की बैठकें बुलाना। सदस्यों के विरुद्ध आवश्यकता पड़ने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करना। वार्षिक चन्दा जमा करना आदि।

कार्यकाल:-
दो वर्ष होगा, जिसे अधिक से अधिक कार्यकारिणी के अनुमोदन से एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

10. कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्तव्य:
1- अध्यक्ष:
कार्यकारिणी का प्रमुख अधिकारी होगा। इसके प्रमुख अधिकार एवं कर्तव्य निम्नलिखित होंगे-
(1) यह अन्य संस्थाओं में संस्था का प्रतिनिधित्व करेगा।
(2) संस्था की कार्यकारिणी तथा साधारण सभाओं की समस्त बैठकों की अध्यक्षता करेगा।
(3) कार्यकारिणी के कार्यों एवं गतिविधियों की देख-रेख करेगा।
(4) संस्था के उद्देश्यों के हित में आवश्यकतानुसार रू0 500.00 तक की धनराशि के व्यय की स्वीकृति करने का उसे अधिकार होगा।
(5) अध्यक्ष को 3 दिन की पूर्व सूचना के आधार पर आपात बैठक बुलाने का अधिकार होगा।

2- उपाध्यक्ष:
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के उन समस्त अधिकारों तथा कर्तव्यों का कार्य, जो उसे सौंपे जायें, उनका निर्वहन क्रमश: उपाध्यक्ष प्रथम, द्वितीय अथवा तृतीय द्वारा किया जायेगा। उपाध्यक्षों की अनुपस्थितति में बैठक की अध्यक्षता किसी मनोनीत अध्यक्ष द्वारा की जायेगी।

3- महामंत्री:
यह कार्यकारिणी का प्रमुख कार्यवाहक होगा। उसके प्रमुख कार्य तथा अधिकार निम्नलिखित होंगे-
(1) संस्था की कार्यकारिणी की समस्त बैठकों द्वारा पारित प्रस्तावों तथा निर्णयों का कार्यान्वयन करना।
(2) संस्था के आदेश से अथवा अपने विवेक से किसी भी संस्था का प्रतिनिधित्व करना।
(3) कार्यकारिणी एवं साधारण सभाओं की बैठकों को विधिवत बुलाना, उनकी कार्यवाही को कार्यवाही रजिस्टर में लिखना तथा आगामी बैठकों में उनको अनुमोदित कराना।
(4) संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु योजना बनाकर उन पर कार्यकारिणी का अनुमोदन प्राप्त करना।
(5) कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत व्यय सीमा के अन्तर्गत संस्था के धन को स्वीकृत मदों पर व्यय करना।
(6) महामंत्री को एक मद में रु0 500.00 तक व्यय करने का अधिकार होगा।
(7) वह संस्था द्वारा निर्धारित रजिस्टरों, पत्रावलियों एवं अन्य अभिलेखों को व्यवस्थित एवं सुरक्षित रखेगा।
(8) माह के अन्त में कोषाध्यक्ष के पास जमा संस्था के धन एवं कैश बुक का निरीक्षण करना तथा कैश बुक में तत्सम्बंधी जाँच अंकित करना।
(9) संस्था की ओर से अपनी अधिकार सीमा के अन्तर्गत पत्र व्यवहार अपने हस्ताक्षर से करेगा।


4- संयुक्त मंत्री:
महामंत्री के कार्यों में सहयोग करना।

5- संगठन मंत्री:
संस्था के संगठन एवं उसके विकास के लिये कार्य करना तथा कार्यकारिणी द्वारा सौंपे गये संगठन सम्बंधी दायित्वों का निर्वहन करना।

6- प्रचार मंत्री:

(1) संस्था के उद्देश्यों, कार्यों तथा कार्यकारिणी द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमों का प्रचार करना।
(2) विभिन्न प्रसार माध्यमों से सम्पर्क करके संस्था की गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का प्रसार करना।
(3) देश-प्रदेश की अन्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से समन्वय स्थापित करना।
(4) प्रकाशन योग्य सामग्री यथा रिपोर्ट, पत्रिका, स्मारिका, पुस्तक का संकलन, प्रकाशन एवं प्रचार करना।


7- साहित्य मंत्री:
साहित्यिक कार्यक्रमों में रूप-रेखा निर्माण/क्रियान्वयन में महामंत्री को सहयोग देना।

8- कोषाध्यक्ष:
परिषद के समस्त धन तथा सम्पत्ति को प्राप्त करेगा तथा उसकी प्राप्ति की रसीद अपने हस्ताक्षरों से देगा। विधिपूर्वक स्वीकृत व्ययों का भुगतान करेगा और संस्था की सम्पूर्ण सम्पत्ति का विवरण रखेगा। संस्था के सम्पूर्ण आय-व्ययक की कैश बुक रखना तथा उसकी शुद्धता के प्रतीक स्वरूप मासिक आय-व्यय के अन्त में अपने हस्ताक्षर करना।
आय-व्यय के बाउचरों को सुरक्षित रखना और वर्ष के अन्त में वार्षिक आय-व्यय का लेखा समय से तैयार करके आडिट हेतु अंकेक्षक को प्रस्तुत करना। बिना कार्यकारिणी की अनुमति प्राप्त किये वह अपने पास रू0 500.00 (रूपया पाँच सौ मात्र) से अधिक नहीं रख सकेगा।


9- अंकेक्षक:
वह संस्था के वार्षिक आय-व्ययक, लेखा का लेखा परीक्षण करेगा तथा पाई गई वित्तीय अनियमितताओं की रपट अध्यक्ष को देगा। संस्था के वार्षिक उत्सव एवं अन्य उत्सवों में हुये व्यय एवं मासिक आय-व्ययक का हिसाब कोषाध्यक्ष से लेकर किसी भी समय निरीक्षण कर सकेगा। वह अपना प्रतिवेदन समिति के अध्यक्ष एवं महामंत्री को हस्तगत कर देगा। जाँच आपत्तियों के निराकरण का प्रयास तब तक जारी रखेगा, जब तक वह अंकेक्षक तथा कार्यकारिणी द्वारा अनुमोदित नहीं हो जाता।

11. अनुशासन:
(1) यदि कोई सदस्य संस्था की प्रतिष्ठा एवं हितों के प्रतिकूल कार्य करेगा, तो कार्यकारिणी द्वारा लिखित चेतावनी देकर उसे स्पष्टीकरण का अवसर प्रदान किया जायेगा। असंतोषजनक उत्तर पाये जाने पर कार्यकारिणी उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही कर सकती है, परन्तु तत्सम्बंधी निर्णय के पक्ष में कार्यकारिणी की बैठक में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों का 3/4 मत आवश्यक होगा।
(2) यदि कार्यकारिणी आवश्यक समझे, तो सदस्य अथवा सदस्यों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही पूर्ण करके निष्कासन सम्बंधी प्रस्तावों को साधारण सभा में प्रस्तुत कर सकेगी।


12. संस्था के नियमों/विनियमों में संशोधन प्रक्रिया:
(1) कार्यकारिणी के 2/3 बहुमत से पारित प्रस्ताव साधारण सभा अथवा विशेष सभा की औपचारिक स्वीकृति से मान्य होगा।
(2) सभा अध्यक्ष की अनुमति से कोई भी सदस्य संविधान/नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव साधारण सभा की बैठक में ला सकेगा।

13. संस्था का कोष (लेखा व्यवस्था): संस्था का कोष किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी ऋण समिति/बैंक या पोस्ट आफिस में संस्था के नाम से खाता खोल कर जमा किया जायेगा, जो कोषाध्यक्ष एवं महामंत्री के संयुक्त हस्ताक्षरों से ही निकाला जा सकेगा।

14. संस्था के आय-व्यय के स्रोत:

(क) आय:
(1) सदस्यता शुल्क।
(2) सदस्यों के द्वारा दी गयी भेंट।
(3) संरक्षकों, सदस्यों अथवा अन्य व्यक्तियों द्वारा दिया गया सहयोग।
(4) अन्य संस्थाओं द्वारा/राजकीय विभागों से प्राप्त अनुदान/सहायता आदि।
(5) संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से प्राप्त आय।
(6) पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन अथवा संस्था द्वारा स्थापित संस्थाओं के संचालन में बचत से प्राप्त धन अथवा सम्पत्ति।


(ख) व्यय:
संस्था मुख्यत: निम्नलिखित मदों, कार्यक्रमों पर व्यय को वहन करेगी:-
(1) लेखा सम्बंधी तथा कार्यालय सम्बंधी छपाई पर व्यय।
(2) संस्था के उद्देश्यों के हित में यात्रा का उचित एवं वास्तविक व्यय।
(3) संस्था की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये प्रदान किये गये पुरस्कार अथवा प्रमाण-पत्र में अपेक्षित व्यय।
(4) संस्था के विभिन्न कार्यक्रमों, उत्सव आयोजनों पर व्यय।
(5) संस्था की कार्यकारिणी समिति/साधारण सभाओं के आयोजनों पर आवश्यक व्यय।
(6) अतिथियों के आदर-सत्कार एवं विशेष आयोजनों पर व्यय।
(7) संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्य एवं पत्र-पत्रिकाओं पर किया गया मुद्रण एवं प्रकाशन व्यय।
(8) अन्य कोई भी मद, जिसे संस्था की कार्यकारिणी अथवा साधारण सभा आवश्यक समझे।


15. संस्था अथवा उनके विरूद्ध अदालती कार्यवाही के संचालन का उत्तरदायित्व:
संस्था द्वारा होने वाली समस्त मुकदमों सम्बंधी कार्यवाही अध्यक्ष/महामंत्री के हस्ताक्षर द्वारा की जायेगी या उनके द्वारा अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की जायेगी। संस्था के विरूद्ध की जाने वाली किसी भी मुकदमे सम्बंधी कार्यवाही का कार्यस्थल न्यायालय, लखनऊ होगा।

16. संस्था के अभिलेख: संस्था के अभिलेख निम्न प्रकार होंगे:
(1) सदस्यता रजिस्टर।
(2) कार्यवाही रजिस्टर।
(3) स्टाक रजिस्टर।
(4) कैश बुक।
(5) रसीद बुक।
(6) व्यय सम्बंधी बाउचर।
(7) आवश्यकतानुसार अन्य सम्बंधित रजिस्टर।

17. संस्था का विघटन और विघटित सम्‍पत्ति के निस्तारण की कार्यवाही:
यह कार्यवाही सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 13 एवं 14 के अन्तर्गत की जायेगी।

18. संस्था की शाखायें:
संस्था की केन्द्रीय कार्यकारिणी की अनुमति से प्रदेश में स्थापित विभिन्न शाखाओं द्वारा निम्नलिखित नियमों का अनुपालन आवश्यक होगा:-
(1) संस्था के संविधान के आधार पर शाखा की कार्यकारिणी गठित की जायेगी। शाखा की कार्यकारिणी संस्था की मान्यता प्रदान करने का अनुरोध करेगी।
(2) शाखा द्वारा साधारण सभा में निर्वाचित पदाधिकारियों की सूचना निर्वाचन तिथि के दो सप्ताह के भीतर संस्था के महामंत्री को प्रेषित करनी अनिवार्य होगी।
(3) शाखा द्वारा कार्यकारिणी समिति या साधारण सभा में पारित प्रस्ताव अथवा निर्णयों की एक-एक प्रति संस्था को उपलब्ध कराना आवश्यक होगा।
(4) शाखा की समस्त गतिविधियों पर केन्द्रीय कार्यकारिणी की दृष्टि रहेगी, किन्तु वह अनावश्यक हस्तक्षेप न कर सकेगी।
(5) शाखा द्वारा केन्द्रीय कार्यालय में पंजीकरण के लिये रु0 200.00 प्रथम बार एवं प्रति वर्ष रु0 100.00 केन्द्रीय कार्यालय को सदस्यता शुल्क देना होगा। जिन कार्यों के लिये संविधान/नियमावली में व्यवस्था निर्दिष्ट नहीं है, उसके लिये व्यवस्था केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति करेगी।


19. संविधान/नियमावली का स्वीकारण एवं अंगीकरण:
यह संविधान संस्था के पंजीकरण की तिथि से कार्यान्वित, स्वीकृत, अंगीकृत एवं मान्य होगी।